वित्त (राजस्व) विभाग व उसके प्रत्यक्ष प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन विभाग
वित्त विभाग के प्रशासनिक ढांचे का
संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है -
वित्त विभाग का प्रशासनिक ढांचा सचिवालय
स्तर पर मुख्यतः तीन भागों में विभक्त है -
इन तीनों शाखाओं के अलग-अलग प्रशासनिक दायित्व निर्वहन के लिये तीन अलग-अलग शासन सचिव
निर्धारित हैं और इन समस्त का सर्वोच्च स्तर पर एकीकृत प्रशासनिक दायित्व प्रमुख शासन
सचिव, वित्त के अधीन रहता है।
वित्त (राजस्व) विभाग के अन्तर्गत भी तीन अलग-अलग
संयुक्त शासन सचिव के पद विद्यमान हैं -
- संयुक्त शासन सचिव, कर
- संयुक्त शासन सचिव, आबकारी
- संयुक्त शासन सचिव, राजस्व
इनमें कर संबंधी समस्त राजस्व के प्रशासनिक पर्यवेक्षण का दायित्व संयुक्त शासन सचिव,
कर के अधीन तथा आबकारी संबंधी समस्त राजस्व के प्रशासनिक पर्यवेक्षण का दायित्व संयुक्त
शासन सचिव, आबकारी के अधीन तथा अन्य राजस्व और राजस्व विभाग के लेखा सेवा कर्मियों
का प्रशासनिक दायित्व संयुक्त शासन सचिव, राजस्व के अधीन होता है।
वित्त (राजस्व) विभाग के अन्तर्गत उसके प्रत्यक्ष
प्रशासनिक नियंत्रण में तीन विभाग हैं-
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वित्त (राजस्व) विभाग के प्रत्यक्ष प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन विभागों का संक्षिप्त
विवरण
1- वाणिज्यिक कर विभाग (Commercial Taxes Department)
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राजस्थान राज्य के गठन के पश्चात् राज्य आबकारी व वाणिज्यिक कारों के संग्रहण हेतु
आबकारी एवं कराधान विभाग ने कार्य करना प्रारम्भ किया, जिसका मुख्यालय उदयपुर में था।
वर्ष 1964 में विभाग को राज्य आबकारी विभाग से पृथक् किया गया तथा विभाग का नाम वाणिज्यिक
कर विभाग हुआ। विभाग वर्ष 1974 तक बिक्री कर, केन्द्रीय बिक्री कर, मनोरंजन कर, विद्युत
शुल्क के अतिरिक्त यात्री व माल कर आदि अधिनियमों को प्रशासित कर रहा था। वर्ष 1974
में यात्री व माल कर संबंधी अधिनियम के प्रशासन का कार्य परिवहन विभाग को स्थानान्तरित
कर दिया गया। राज्य में दिनांक 1 अप्रैल, 2006 से विक्रय कर प्रणाली के स्थान पर मूल्य
परिवर्तित कर प्रणाली लागू की गयी थी।
दिनांक 01 जुलाई 2017 से देश में "एक राष्ट्र एक कर"
की अवधारणा को संकल्पित कर विभिन्न करों को समाहित करते हुए वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली
लागू की गयी है। पेट्रोलियम पदार्थों यथा पैट्रोल, डीजल, ए.टी.एफ. क्रूड ऑयल, नेचुरल
गैस एवं एल्कोहल (मानव उपभोग हेतु) को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। इन वस्तुओं की
बिक्री पर वैट अधिनियम के प्रावधान ही लागू रहेंगे। इस क्रम में राज्य द्वारा राजस्थान
माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 पारित किया गया है। विभाग द्वारा वर्तमान में निम्न
अधिनियमों को प्रशासित एवम् क्रियान्वित किया जा रहा है-
- राजस्थान माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017
- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017
- राजस्थान मूल्य परिवर्धित कर अधिनियम, 2003 (संविधान की अनुसूची 7 की राज्य सूची की
प्रविष्टि संख्या 54 में वर्णित वस्तुओं पर)
- एकीकृत माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017
- केन्द्रीय विक्रय कर अधिनियम, 1956
- राजस्थान विद्युत शुल्क अधिनियम, 1962
इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा पूर्व में प्रशासित किये जा रहे निम्न निरसित अधिनियमों
के विधिक कार्य भी क्रियान्वित किये जा रहे है :-
- राजस्थान मूल्य परिवर्धित कर अधिनियम, 2003
- राजस्थान स्थानीय क्षेत्रों में माल के प्रवेश पर कर अधिनियम, 1999
- राजस्थान (होटलों एवं वासों में) विलासों पर कर अधिनियम, 1990
- राजस्थान स्थानीय क्षेत्रों में मोटर वाहनों के प्रवेश पर कर अधिनियम, 1988
- राजस्थान मनोरंजन एवं विज्ञापन कर अधिनियम, 1957
प्रशासनिक संगठन के रूप में विभागीय कार्यकलापों की क्रियान्विति निम्न चार स्तरों
पर की जाती है-
- मुख्यालय (HQ) -राज्य स्तर पर आयुक्तालय
- संभागीय कार्यालय (Zone)
- वृत्त (Circle)
- घट (Ward)
संभागीय कार्यालय (Zone) के रूप में 16 प्रशासनिक संभाग व प्रशासनिक नियन्त्रण एवं
प्रतिकरांपवंचन संबंधित कार्य सम्पादन हेतु विभाग में 16 प्रशासनिक संभाग कार्यरत हैं,
कर निर्धारण अधिकारी के आदेशों के विरुद्ध अपील सुनने हेतु प्रथम अपीलीय प्राधिकारी
के कुल 10 कार्यालय कार्यरत हैं। जी.एस.टी अपीलेट ट्रिब्यूनल/अपीलीय अधिकरण की दो पीठ
क्रमशः जयपुर (राज्य पीठ) एवं जोधपुर (क्षेत्रीय पीठ) में स्थापित की गई हैं। वृत्तों
(Circles) एवं घटों (Wards) की स्थिति निम्न प्रकार है :-
- सामान्य या नियमित वृत्त - 135
- बिजनेस ऑडिट वृत्त -16
- सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी घट - 320
वाणिज्यिक कर विभाग के प्रशासनिक ढांचे का
संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है-
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2- आबकारी विभाग (Excise Department)
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राजस्थान राज्य के गठन के उपरांत आबकारी एवं कराधान विभाग ने कार्य करना प्रारम्भ किया,
जिसका मुख्यालय उदयपुर में था। वर्ष 1964 में पृथक् वाणिज्यिक कर विभाग गठित होने के
उपरांत राज्य का आबकारी विभाग अलग हो गया, जिसका मुख्यालय उदयपुर में ही है। आबकारी
विभाग के विभागाध्यक्ष आबकारी आयुक्त होते हैं।
मादक पदार्थों के उत्पादन, भण्डारण, परिवहन एवं विक्रय की प्रक्रिया सरकार का नियन्त्रण
है। आबकारी विभाग का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य के लिए हानिकारक एवं पदार्थों के अवैध
उत्पादन एवं व्यवसाय पर कठोर नियंत्रण रखते हुए उपभोक्ता को गुण मानव उपयोगी मादक पदार्थ
विभाग उपलब्ध कराने के साथ-साथ समुचित राजस्व अर्जित करना है। वर्तमान में राज्य की
सम्पूर्ण कर- राजस्व प्राप्तियों में आबकारी विभाग का महत्वपूर्ण स्थान है, जो लगभग
16 प्रतिशत होकर यह द्वितीय स्थान पर है।
आबकारी संबंधी प्रशासनिक दायित्व आबकारी विभाग के अंतर्गत है। आबकारी विभाग द्वारा
राज्य सरकार द्वारा घोषित आबकारी नीति के अन्तर्गत बन्दोबस्त सम्पादित करवाकर राज्य
की आबकारी एवं मद्यसंयम नीति का क्रियान्वयन किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा आबकारी
नीति मुख्यतः निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जाती है :-
- मदिरा व्यवसाय का वैधानिक प्रक्रिया के अन्तर्गत संचालन एवं राज्य की राजस्व आय को
दृष्टिगत रखते हुए व्यवहारिक नीति का निर्धारण
- अवैध एवं घातक मादक पदार्थों पर प्रभावी नियंत्रण
- मद्यसंयम (टेम्परेंस) की नीति को प्रभावी रूप से लागू करना
आबकारी विभाग के प्रशासनिक ढांचे का संक्षिप्त
विवरण निम्नानुसार है-
आबकारी से संबंधित दो राजकीय उपक्रम भी हैं-
इन दोनों ही उपक्रमों के विभागीय प्रमुख का दायित्व शासन सचिव, वित्त (राजस्व) के अधीन
है। सामान्य प्रशासनिक व्यवस्था के लिये श्री गंगानगर शुगर मिल्स लि. में महाप्रबन्धक
(Managing Director) का पद विद्यमान है तथा राजस्थान स्टेट बेवरेज कार्पोरेशन लि. में
कार्यकारी निदेशक (Executive Director) का पद विद्यमान है।
श्री गंगानगर
शुगर मिल्स लि. के प्रशासनिक ढांचे का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार
है-
राजस्थान स्टेट
बेवरेज कार्पोरेशन लि. के प्रशासनिक ढांचे का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार
है-
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3- पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग (Registration and
Stamps Department)
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पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग, राजस्थान, अजमेर द्वारा पंजीयन अधिनियम, 1908, राजस्थान
पंजीयन नियम 1955, खण्ड प्रथम व द्वितीय, राजस्थान मुद्रांक अधिनियम, 1998 व राजस्थान
स्टाम्प नियम-2004 के क्रियान्वयन का कार्य किया जाता है। यह विभाग राज्य सरकार के
वित्त विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। दिनांक 27.05.2004 से पूर्व
राज्य का अलग स्टाम्प अधिनियम नहीं था। भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 ही लागू था। दिनांक
27.05.2004 से राजस्थान स्टाम्प अधिनियम 1998 लागू किया गया है तथा इसके तहत राजस्थान
स्टाम्प नियम 2004, दिनांक 11.06.2004 से लागू किये गये हैं।
पंजीयन अधिनियम व उसके तहत बनाये गये नियमों के अन्तर्गत विभागीय पंजीयन अधिकारी दस्तावेजों
के पंजीयन एवं पंजीयन सम्बंधी अन्य सेवाएं आम जनता को उपलब्ध कराते हैं। राजस्थान मुद्रांक
अधिनियम, 1998 के प्रावधानों के अनुसार दस्तावेजों पर देय मुद्रांक कर एवं अधिभार का
संग्रहण किया जाता है। इस कर संग्रहण के लिये मुख्य राजस्व नियंत्रक प्राधिकारी, कलक्टर
(मुद्रांक) एवं उप पंजीयकों की व्यवस्था है। वर्तमान में मुख्य राजस्व नियंत्रक प्राधिकारी
के रूप में राजस्थान कर बोर्ड, अजमेर तथा कलक्टर (मुद्रांक) के रूप में विभागीय उप
महानिरीक्षक, पंजीयन एवं मुद्रांक कार्यरत हैं। उप महानिरीक्षक, पंजीयन एवं मुद्रांक
विभाग के नियंत्रणाधीन पूर्णकालिक उप पंजीयक एवं पदेन उप पंजीयक कार्यरत हैं।
पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के प्रशासनिक ढांचे
का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है-
राज्य के राजस्व में कुशलतम वृद्धि के लिए वित्त (राजस्व) विभाग निरंतर प्रयत्नरत रहता
है। इसके लिए एकीकृत राजस्व प्रबंधन तंत्र (Integrated
Revenue Management System- IRMS) विकसित किया जा रहा है। यह एकीकृत राजस्व
प्रबंधन तंत्र (IRMS) एक ओर एकीकृत वित्तीय प्रबंधन तंत्र (Integrated Financial Management
System- IFMS) जुड़ा है, वहीं वह एकीकृत आबकारी प्रबंधन तंत्र (Integrated Excise Management
System- IEMS) से भी जुड़ा है। इसके साथ ही वह वित्त विभाग के अन्तर्गत पंजीयन एवं मुद्रांक
तथा जीएसटी-वाणिज्यिक कर से भी जुड़ा हुआ है। राजस्व अर्जन से सम्बन्धित अन्य विभागों
को भी इसमें इंटीग्रेट किया गया है, जिसमें परिवहन विभाग तथा खान विभाग महत्वपूर्ण
हैं।
माननीय मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार के बजट भाषण 2021-22 के अनुरूप राज्य के राजस्व
के डेटा के समुचित विश्लेषण कर आवश्यक सुझाव देने के लिये वित्त (राजस्व) विभाग के
अन्तर्गत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रेवेन्यू रिसर्च एण्ड
एनालिटिक्स फैसिलिटेशन (Centre of Excellence for Revenue Research & Analytics Facilitation-
CoERRA) का गठन किया गया है। कार्य की दृष्टि से CoERRA में 5 टीमों का
गठन किया गया हैः-
- Commodities A-Traded Goods, Excise, Vehicles
- Real Estate/Land/Infrastructure
- E-commerce/Finance/Banking
- Commodities - B- Petrol/Diesel/N-Gas, LPG, Mining Ores
- Capacity Building/HR/Help Desk
इसके अतिरिक्त वित्त (राजस्व) विभाग के अन्तर्गत कर अनुसंधान
प्रकोष्ठ (Tax Research Cell) का भी गठन किया हुआ है। राजस्व के नये आयामों
के संधान तथा करापवंचन के निवारण के लिये राजस्थान राज्य
आसूचना निदेशालय (State Directorate of Revenue Intelligence) का भी गठन
किया गया है। जिसका कार्यालय वित्त भवन के अन्तर्गत है।
राज्य सरकार वित्तीय क्षेत्र में अनुसंधान व नवाचार पर व्यापक बल देती है। इसी क्रम
में टैक्स इण्डिया ऑनलाईन (TIOL) द्वारा नेशनल टैक्सेशन
अवार्ड (TIOL Awards) वर्ष 2022 में (दिनांक 08.11.2022 को) वित्त (राजस्व) विभाग,
राजस्थान सरकार को दो स्वर्ण पदक-गोल्ड पुरस्कार प्रदान किए गये हैं-
- कर प्रबंधन में सबसे अधिक सुधारवादी राज्य (Most Reformist State)
- एसजीएसटी/ वैट कैटेगरी (SGST/VAT Category)
राज्य सरकार द्वारा आई.एफ.एम.एस. (IFMS) प्लेटफॉर्म पर नवाचार करते हुये प्रक्रियाओं
का मानकीकरण एवं मानवीय हस्तक्षेप में कमी कर इसे और अधिक जन उपयोगी बनाया गया, जिससे
भुगतान एवं राजस्व एकत्र करने में मदद मिली है तथा इसी प्रकार राज्य कर विभाग द्वारा
जीएसटी कानून के करों की प्रभावी वसूली की गई। राज्य सरकार द्वारा वर्षों से लम्बित
बकाया राशि के निष्पादन के लिये एमनेस्टी योजना-2021 एवं 2022 लाई गई । इसी क्रम में
वर्ष 2022-23 के बजट में व्यवहारी सुविधा केन्द्र की स्थापना की गई है तथा जीएसटी कानून
के तहत ई-वे बिल की सीमा बढाकर व्यवहारियों को राहत प्रदान की गई है।
वित्त (राजस्व) विभाग द्वारा उद्योग विभाग के समन्वय से
राजस्थान निवेश प्रोत्साहन नीति (Rajasthan Investment Promotion Policy- RIPS)
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के समन्वय से सामाजिक
सुरक्षा प्रोत्साहन नीति (Social Security Investment Promotion Policy- SSIPS)
का भी निर्माण किया जाता है। आदिनांक तक वर्ष 2003, 2010, 2014, 2019 तथा 2022 में
राजस्थान निवेश प्रोत्साहन नीति (Rajasthan Investment Promotion Policy- RIPS) जारी
की गई। सामाजिक सुरक्षा प्रोत्साहन नीति (Social Security Investment Promotion Policy-
SSIPS) वर्ष 2021 में जारी की गई।
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